Class 9 Hindi इकाई 2 Chapter 06 दीप जलाओ - Questions and Answers
1. मतलब क्या है?1. मल दुर्गुण/मलिनता2. द्वेष - शत्रुता3. दंभ - अहंकार4. घृणा - नफरत5. छल - धोखा6. चरण - कदम7. गृह - घर8. लक्ष्मी - ऐश्वर्य9. ज्योति - प्रकाश10. जय - जीत/विजय11. स्नेह - प्यार12. धन संपत्ति13. गीत - गाना14. भुवन - संसार/दुनिया 15. लहराना - तरंगित होना16. सुमन - फूल17. सुरभि - सुगंध/खुशबू18. नव - नयी19. छवि - शोभा20. फूलना प्रसन्न होना21. छूना - स्पर्श करना22. लघु - छोटे23. तारा - नक्षत्र24. प्रतिमन - हरेक के मन में 25. लगन प्रयत्न/धुन26. सरसाना सुंदर बनाना/संपूर्ण बनाना/रसपूर्ण बनाना27. उज्वल करना - प्रकाशमय बनाना28. मन के बंधन को मुक्त करना - अवगुणों को छोड देना29. वंदन करना - नमन करना30. जीवन सुरभि पर फूलो प्रसन्न रह जाओ31. छवि छवि छू लो - जीवन की खुशी को दिल से पाना32. सुख से झूलो - सुखमय जीवन बिताना33. नव छवि बरसाओ - जीवन को अधिक सुंदर बना देना34. ज्योति पसारना - प्रकाश फैलाना2. प्रश्नों का उत्तर1.' गृह-गृह की लक्ष्मी मुस॒काओ '- इससे क्या तात्पर्य है?जीवन के बुरी आदतों को छोडकर हम अपने कदम पर चलकर हरेक घरको प्रकाशमय करते हुए आगे बढ़ें | ऐसे हम अपने घर को तथा इस संसारको ऐश्वर्यपूर्ण बना सकेंगे ।2. इस भुवन को हम कैसे धन्य बनाएँगे?अतुल्य धन रूपी ख्रेह के गीतें को लह॒राकर हम इस संसार को धन्य बनाएँगे |3. यहाँ जीवन को सुमन क्यों बताया है?सुमन अपनी सुरक्षि से संसार को सुगंधित करता है। उसी प्रकार मनुष्य को अपने जीवन के महान संदेशों से दुनिया को सुरभित करना चाहिए।4. प्रतिमन वही लगन सरसाओ '- इससे क्या तात्पर्य है?अंधकार से जीतने के तारों की प्रयास की तरह बाधाओं का सामना करके ही हम ज़िंदगी में सफलता पा सकते हैं। इसी धुन या प्रयत्न से संसारके हरेक का मन संपूर्ण करो या सुंदर बना दो ।5. ज़िंदगी की सफलता केलिए हमें किन-किन आदतों को छोडना चाहिए?ज़िंदगी की सफलता केलिए हमें मलिनता, शत्रुता, अहंकार, अन्याय, घृणा, छल आदि बुरी आदतों को छोडना चाहिए|6. कवि क्या भूलने को कहते हैं ?कल तक के कर्मयोग को7. कवि किसके बंधन से मुक्त होने को कहते हैं ? मन के8. कविता में किसको अतुल्य धन कहा गया है ?स्नेह को3. कविता का आशयहिंदी साहित्य के प्रगतिशील कवि त्रिलोचन की प्रसिद्ध कविता है दीप जलाओ । इसमें कवि अपने जीवन से बुराइयाँ रूपी अंधकार को भलाई रूपी प्रकाश से हटाते हुए जीवन को सुखमय बनाने का संदेश देतेहैं।कवि कहते हैं कि हम अपने जीवन से मलिनता, शत्रुता, अहंकार, अन्याय, घृणा, छल आदि बुरी आदतोंदूर रखें । जीवन के बुरी आदतों को छोडकर हम अपने कदम पर चलकर हरेक घर को प्रकाशमय करते हुए आगे बढ़ें। ऐसे हम अपने घर को तथा इस संसार को ऐश्वर्यपूर्ण बना सकेंगे ।हम अपने मन से अवगुणोंके सारे बंधनों को मुक्त करके जीत के प्रकाश का नमन करें तो जीवन सुखमय बनता है। स्नेह अनमोल संपत्ति है। अतुल्य धन रूपी स्नेह गीतों को लहराकर हम इस संसार को धन्य बनाएँ । कल तक के कर्मयोगों को हम भूलें | जीवन रूपी फूलों की सुरभि पर प्रसन्न हो जाएँ । दुनिया की हर चीज़ की सुंदरता को पहचानकर, उसे अपनाकर अपने जीवन को आनंदपूर्ण बनाते हुए हम यहाँ नया जीवन जिएँ। आसमान के छोटे-छोटे तारे लगातार अपने प्रकाश फैलाते रहते हैं वे कभी अंधकार से हारते नहीं । बाधाओं का सामना करके ही हम ज़िंदगी मेंसफलता पा सकते हैं। इसी धुन या प्रयत्न से संसार के हरेक का मन संपूर्ण करो या सुंदर बना दो। संसार के अंधकार को मिटाकरवहाँ स्रेह के प्रकाश फैलाने की प्रेरणा देनेवाली इस कविता की प्रासंगिकता सार्वकालिक है । सरल भाषा शैली औरआकर्षक शब्दों के प्रयोग से कविता सुंदर बनी है।
4. पंक्तियों का आशय1. इस जीवन में............................लक्ष्मी मुसकाओप्रस्तुत पंक्तियाँ हिंदी साहित्य के प्रगतिशील कवि त्रिलोचन की प्रसिद्ध कविता दीप जलाओ से ली गई हैं। इसमें कवि अपने जीवन से बुराइयाँ रूपी अंधकार को भलाई रूपी प्रकाश से हटाते हुए जीवन को सुखमय बनाने का संदेशदेते हैं।कवि कहते हैं कि हम अपने जीवन से मलिनता, शत्रुता, अहंकार, अन्याय, घृणा, छल आदि बुरी आदतोंको दूर रखें। जीवन के बुरी आदतों को छोडकर हम अपने कदम पर चलकरहरेक घरको प्रकाशमय करते हुए आगे बढ़ें ऐसे हम अपने घर को तथा इस संसारको ऐश्वर्यपूर्ण बना सकेंगे ।सरल व सुंदर भाषा के प्रयोग से कवि जीवन में जो मूल्यों को अपनाना है और जिनको छोडना है, इसका चित्र प्रस्तुत करते हैं । जीवन में सफलता पाने केलिए अपने मन से सारे अवगुणों को छोडकर भलाई की दीया जला देने की आवश्यकता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करनेवाली यहकविता बिलकुल प्रासंगिक और अच्छी है ।2. आज मुक्त कर ........................... स्नेह गीत लहराओकवि कहते हैं कि हम अपने मन से अवगुणोंके सारे बंधनों को मुक्त करके जीत के प्रकाश का नमन करें तो जीवन सुखमय बनता है। स्नेह अनमोल संपत्ति है । अतुल्य धन रूपी स्नेह गीतों को लहराकर हम इस संसार को धन्य बनाएँ |3. कर्मयोग कल तक के.............................. नेव छवि बरसाओकवि कहते हैं कि कल तक के कर्मयोगों को हम भूलें । जीवन रूपी फूलों की सुरभि पर प्रसन्न हो जाएँ | दुनिया की हर चीज़ की सुंदरता को पहचानकर, उसे अपनाकर अपने जीवन को आनंदपूर्ण बनाते हुए हम यहाँ नया जीवन जिएँ।4. ये अनंत के लघु लघु तारे....................... वही लगन सरसाओकवि कहते हैं कि आसमान के छोटे -छोटे तारे लगातार अपने प्रकाश फैलाते रहते हैं । वे कभी अंधकार से हारते नहीं| बाधाओं का सामना करके ही हम ज़िंदगी में सफलता पा सकते हैं | इसी धुन या प्रयत्न से संसार के हरेक का मन संपूर्ण करो या सुंदर बना दो ।5. समानआशयवाली पंक्तियाँ चुनकर लिखें।1. मन के बंधनों को मुक्त कर ज्योति और जय का बंदन करना है। / मुक्त मन से आज जीत के प्रकाश का नमन करना है।आज मुक्त कर मन के बंधनकरो ज्योति का जय का बंदन2. आसमान के छोटे-छोटे तारे लगातार अपना दुर्बल प्रकाश फैलाते रहते हैं ।ये अनंत के लघु-लघु तारेदुर्बल अपनी ज्योति पसारे3. कल की गलतियों को भूलकर ज़िंदगी में नई खुशियाँ फैलाएँ ।कर्मयोग कल तक के भूलोजीवन -सुमन सुरभि पर फूलो4. घोरअंधकारमें भलाई कभी हारनहींहोंगे ।अंधकार से कभी न हारेप्रतिमन वही लगन सरसाओ5. स्नेह की इस दुनिया की सबसे अतुल्य धन है| इससे सारे विश्व धन्य बन जाएँगे ।स्नेह अतुल धन, धन्य यह भुवनबनकर ख्रेह गीत लहराओ |6. घर में सुख और संपत्ति का ऐश्वर्य आने से लोग मुस्कुराते हैं।चरण चरण चल गृह कर उज्वलगृह गृह की लक्ष्मी मुसकाओ
1. मतलब क्या है?
1. मल दुर्गुण/मलिनता
2. द्वेष - शत्रुता
3. दंभ - अहंकार
4. घृणा - नफरत
5. छल - धोखा
6. चरण - कदम
7. गृह - घर
8. लक्ष्मी - ऐश्वर्य
9. ज्योति - प्रकाश
10. जय - जीत/विजय
11. स्नेह - प्यार
12. धन संपत्ति
13. गीत - गाना
14. भुवन - संसार/दुनिया 15. लहराना - तरंगित होना
16. सुमन - फूल
17. सुरभि - सुगंध/खुशबू
18. नव - नयी
19. छवि - शोभा
20. फूलना प्रसन्न होना
21. छूना - स्पर्श करना
22. लघु - छोटे
23. तारा - नक्षत्र
24. प्रतिमन - हरेक के मन में
25. लगन प्रयत्न/धुन
26. सरसाना सुंदर बनाना/संपूर्ण बनाना/रसपूर्ण बनाना
27. उज्वल करना - प्रकाशमय बनाना
28. मन के बंधन को मुक्त करना - अवगुणों को छोड देना
29. वंदन करना - नमन करना
30. जीवन सुरभि पर फूलो प्रसन्न रह जाओ
31. छवि छवि छू लो - जीवन की खुशी को दिल से पाना
32. सुख से झूलो - सुखमय जीवन बिताना
33. नव छवि बरसाओ - जीवन को अधिक सुंदर बना देना
34. ज्योति पसारना - प्रकाश फैलाना
2. प्रश्नों का उत्तर
1.' गृह-गृह की लक्ष्मी मुस॒काओ '- इससे क्या तात्पर्य है?
जीवन के बुरी आदतों को छोडकर हम अपने कदम पर चलकर हरेक घरको प्रकाशमय करते हुए आगे बढ़ें | ऐसे हम अपने घर को तथा इस संसारको ऐश्वर्यपूर्ण बना सकेंगे ।
2. इस भुवन को हम कैसे धन्य बनाएँगे?
अतुल्य धन रूपी ख्रेह के गीतें को लह॒राकर हम इस संसार को धन्य बनाएँगे |
3. यहाँ जीवन को सुमन क्यों बताया है?
सुमन अपनी सुरक्षि से संसार को सुगंधित करता है। उसी प्रकार मनुष्य को अपने जीवन के महान संदेशों से दुनिया को सुरभित करना चाहिए।
4. प्रतिमन वही लगन सरसाओ '- इससे क्या तात्पर्य है?
अंधकार से जीतने के तारों की प्रयास की तरह बाधाओं का सामना करके ही हम ज़िंदगी में सफलता पा सकते हैं। इसी धुन या प्रयत्न से संसारके हरेक का मन संपूर्ण करो या सुंदर बना दो ।
5. ज़िंदगी की सफलता केलिए हमें किन-किन आदतों को छोडना चाहिए?
ज़िंदगी की सफलता केलिए हमें मलिनता, शत्रुता, अहंकार, अन्याय, घृणा, छल आदि बुरी आदतों को छोडना चाहिए|
6. कवि क्या भूलने को कहते हैं ?
कल तक के कर्मयोग को
7. कवि किसके बंधन से मुक्त होने को कहते हैं ?
मन के
8. कविता में किसको अतुल्य धन कहा गया है ?
स्नेह को
3. कविता का आशय
हिंदी साहित्य के प्रगतिशील कवि त्रिलोचन की प्रसिद्ध कविता है दीप जलाओ । इसमें कवि अपने जीवन से बुराइयाँ रूपी अंधकार को भलाई रूपी प्रकाश से हटाते हुए जीवन को सुखमय बनाने का संदेश देतेहैं।
कवि कहते हैं कि हम अपने जीवन से मलिनता, शत्रुता, अहंकार, अन्याय, घृणा, छल आदि बुरी आदतोंदूर रखें । जीवन के बुरी आदतों को छोडकर हम अपने कदम पर चलकर हरेक घर को प्रकाशमय करते हुए आगे बढ़ें। ऐसे हम अपने घर को तथा इस संसार को ऐश्वर्यपूर्ण बना सकेंगे ।हम अपने मन से अवगुणोंके सारे बंधनों को मुक्त करके जीत के प्रकाश का नमन करें तो जीवन सुखमय बनता है। स्नेह अनमोल संपत्ति है। अतुल्य धन रूपी स्नेह गीतों को लहराकर हम इस संसार को धन्य बनाएँ । कल तक के कर्मयोगों को हम भूलें | जीवन रूपी फूलों की सुरभि पर प्रसन्न हो जाएँ । दुनिया की हर चीज़ की सुंदरता को पहचानकर, उसे अपनाकर अपने जीवन को आनंदपूर्ण बनाते हुए हम यहाँ नया जीवन जिएँ। आसमान के छोटे-छोटे तारे लगातार अपने प्रकाश फैलाते रहते हैं वे कभी अंधकार से हारते नहीं । बाधाओं का सामना करके ही हम ज़िंदगी मेंसफलता पा सकते हैं। इसी धुन या प्रयत्न से संसार के हरेक का मन संपूर्ण करो या सुंदर बना दो।
संसार के अंधकार को मिटाकरवहाँ स्रेह के प्रकाश फैलाने की प्रेरणा देनेवाली इस कविता की प्रासंगिकता सार्वकालिक है । सरल भाषा शैली औरआकर्षक शब्दों के प्रयोग से कविता सुंदर बनी है।
4. पंक्तियों का आशय
1. इस जीवन में............................लक्ष्मी मुसकाओ
प्रस्तुत पंक्तियाँ हिंदी साहित्य के प्रगतिशील कवि त्रिलोचन की प्रसिद्ध कविता दीप जलाओ से ली गई हैं। इसमें कवि अपने जीवन से बुराइयाँ रूपी अंधकार को भलाई रूपी प्रकाश से हटाते हुए जीवन को सुखमय बनाने का संदेशदेते हैं।
कवि कहते हैं कि हम अपने जीवन से मलिनता, शत्रुता, अहंकार, अन्याय, घृणा, छल आदि बुरी आदतोंको दूर रखें। जीवन के बुरी आदतों को छोडकर हम अपने कदम पर चलकरहरेक घरको प्रकाशमय करते हुए आगे बढ़ें ऐसे हम अपने घर को तथा इस संसारको ऐश्वर्यपूर्ण बना सकेंगे ।सरल व सुंदर भाषा के प्रयोग से कवि जीवन में जो मूल्यों को अपनाना है और जिनको छोडना है, इसका चित्र प्रस्तुत करते हैं । जीवन में सफलता पाने केलिए अपने मन से सारे अवगुणों को छोडकर भलाई की दीया जला देने की आवश्यकता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करनेवाली यहकविता बिलकुल प्रासंगिक और अच्छी है ।
2. आज मुक्त कर ........................... स्नेह गीत लहराओ
कवि कहते हैं कि हम अपने मन से अवगुणोंके सारे बंधनों को मुक्त करके जीत के प्रकाश का नमन करें तो जीवन सुखमय बनता है। स्नेह अनमोल संपत्ति है । अतुल्य धन रूपी स्नेह गीतों को लहराकर हम इस संसार को धन्य बनाएँ |
3. कर्मयोग कल तक के.............................. नेव छवि बरसाओ
कवि कहते हैं कि कल तक के कर्मयोगों को हम भूलें । जीवन रूपी फूलों की सुरभि पर प्रसन्न हो जाएँ | दुनिया की हर चीज़ की सुंदरता को पहचानकर, उसे अपनाकर अपने जीवन को आनंदपूर्ण बनाते हुए हम यहाँ नया जीवन जिएँ।
4. ये अनंत के लघु लघु तारे....................... वही लगन सरसाओ
कवि कहते हैं कि आसमान के छोटे -छोटे तारे लगातार अपने प्रकाश फैलाते रहते हैं । वे कभी अंधकार से हारते नहीं| बाधाओं का सामना करके ही हम ज़िंदगी में सफलता पा सकते हैं | इसी धुन या प्रयत्न से संसार के हरेक का मन संपूर्ण करो या सुंदर बना दो ।
5. समानआशयवाली पंक्तियाँ चुनकर लिखें।
1. मन के बंधनों को मुक्त कर ज्योति और जय का बंदन करना है। / मुक्त मन से आज जीत के प्रकाश का नमन करना है।
आज मुक्त कर मन के बंधन
करो ज्योति का जय का बंदन
2. आसमान के छोटे-छोटे तारे लगातार अपना दुर्बल प्रकाश फैलाते रहते हैं ।
ये अनंत के लघु-लघु तारे
दुर्बल अपनी ज्योति पसारे
3. कल की गलतियों को भूलकर ज़िंदगी में नई खुशियाँ फैलाएँ ।
कर्मयोग कल तक के भूलो
जीवन -सुमन सुरभि पर फूलो
4. घोरअंधकारमें भलाई कभी हारनहींहोंगे ।
अंधकार से कभी न हारे
प्रतिमन वही लगन सरसाओ
5. स्नेह की इस दुनिया की सबसे अतुल्य धन है| इससे सारे विश्व धन्य बन जाएँगे ।
स्नेह अतुल धन, धन्य यह भुवन
बनकर ख्रेह गीत लहराओ |
6. घर में सुख और संपत्ति का ऐश्वर्य आने से लोग मुस्कुराते हैं।
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