Class 9 Hindi इकाई 2 Chapter 05 गांधीजी गांधीजी कैसे बने - Questions and Answers
1. वे धीरे धीरे गांधी बने “- इसका मतलब क्या है ?गांधीजी भी पहले औरों की तरह अच्छे कपडे पहनते थे। फिर हमारे देश की गरीबी समझकर वे ललित जीवन बिताने लगे । स्वदेश को माँ की तरह प्यार करके और विचार एवं काम में सादगी का महत्व अपनाकर वे धीरे धीरे गांधी बने।2. औरत की हालत देखकर गांधीजी ने एक ही धोती पहनने का फैसला कर लिया। ऐसा फैसला लेने का उद्देश्य क्या था ?गरीबों की अवस्था का अनुभव करना, लोगों के मन म मेँ गरीबों की सेवा करने की भावना जगाना और गरीबोंके प्रति सहानुभूति प्रकट करना ।3. गांधीजी ने पेंसिल से लिखना क्यों तय किया ?गांधीजी लिखते बढिया पैन चोरी चला गया तो एक बच्चे से मिली पेंसिल से उन्होंने लिखकर देख। उन्हें लगा कि पेंसिल से भी अच्छा लिखा जाता है और स्याही वगैरह भरने की झंझट भी नहीं। इसलिए उन्होंने पेंसिल से लिखना तय किया|4. बचपन मेँ गांधीजी को किससे डर लगता था क्यों ?अंधेरे से क्योंकि गांधीजी को लगता था कि कोई भूत आकर उन्हें पकड लेगा ।5. औरत की हालत देखकरगांधीजी ने क्या फैसला कर लिया ?औरत की हालत देखकरगांधीजी ने एक ही धोती पहनने का फैसला कर लिया ।6.' पेंसिल पर कागज़ की भोंगली लगाकर धागे से बाँध लेते' - गाँधीजी के इस व्यवहार के पीछे का उद्देश्य क्या था ?जब अपने देश के अधिकांश लोग गरीबी और अभावबों से पीडित हों तो हमें फिजूलखर्ची और दिखावा नहीं करना चाहिए ।7. गांधीजी के अनुसार देश के अधिकांश लोग गरीब हों तो हमें क्या -क्या नहीं करना चाहिए ?फिजूलखर्ची और दिखावा8. हम अपने देश और देशवासियों से प्यार करते हैं तो किसका महत्व समझना चाहिए ?सादगी का महत्व9. गांधीजी के मत मेँ हमें किस प्रकार नाम कमाना चाहिए ?हमें सादगी का महत्व समझना चाहिए। गांधीजी के अनुसार अपने विचारों और कर्मों से नाम कमाना चाहिए।10. अपनी प्रार्थना सभा में सज धजकर आएकुछ अमीर आदमी को गांधीजी ने क्यों डाँट दिया ?क्योंकि हम अपनी संपत्ति का दिखावा करने की जगहईश्वर के सामने नहीं ।उनके आगे हमारी धन बहुत तुच्छ ही है । उनके आगे सब बराबर है।11. गांधीजी की डायरी (औरत हालत देखकर)तारीख : ..................................आज मैं भाषण देने केलिए मदुरै जाते समय एक करुणामय दृश्य देखा। एक औरत तालाब मेँ अपनी धोती धो रही थी। आधी धोती पहनती थी और बाकी आधी को धोती थी। फिर धुली हुई को पहन लेती थी और शेष को धोती थी। उसकी हालत देखकर मेँ भीतर तक हिल गया तुरंत मैंने अपनी धोती तालाब मेँ डालकर उस औरत तक पहुँचाये | हे भगवान ! ऐसे भी गरीब लोग हैं इस देश मेँ । लेकिन कितने लोग आज भी फिजूलखर्ची और दिखावा करते हैं। उसी समय मैंने एक ही धोती पहनने का संकल्प लिया । अभावों से विवश आम जनता की हालत सुधारने केलिए जीवन मेँ हमें भी सादगी को अपनाना है। लगता हैमेरे इस निर्णय से लोगों के मन मेँ गरीबों की सेवा करने की भावना जगाएँ | आज का घटना मैं कैसे भूलूँ ?
12. समाचार (औरत हालत देखकर गांधीजी ने एक धोती पहनने का फैसला लिया )गांधीजी ने लिया एक ही धोती पहनने का फैसलास्थान। ....................मदरै में भाषण देने गए गांधीजी ने एक औरत की दयनीय हालत देखकर आज के बाद पूरे जीवनकाल मेँ केवल एक ही धोती पहनने का अहम निर्णय लिया । तालाब में कपडे धो रही औरत अपनी धोती का एक भाग पहनकर दूसरा भाग धो रही थी | उसके पास केवल एक ही धोती थी । यह दृश्य देखने पर उनके मन मेँ ऐसे गरीब लोगों की चिंताआई, जो बिना ओढे -पहने रहते हैं अभावों से विवश आम जनता के समान जीने केलिए उन्होंने निश्चय किया । ताकि उन्हें देखकर बाकी भारतीय भी गरीबों की हालत सुधारने केलिए जीवन मेँ सादगी को अपनाएँ।13. टिप्पणी - औरत की हालत देखकर गांधीजी ने एक ही धोती पहनने का फैसला क्यों लिया ?भारत के अधिकांश लोग गरीबी के कारण बिना ओढे -पहने रहते हैं गांधीजी औरत की हालत देखकर यह सामाजिक आर्थिक अवस्थ पहचानते थे। अभावों से विवश आम जनता के समान जीने केलिए उन्होंने एक ही धोती पहनने का फैसला लिया उन्हें देखकर बाकी लोग भी गरीबों की हालत सुधारने को जीवन मेँ सादगी को अपनाने केलिए ऐसा एक निर्णय लिया होगा। देश अधिकांश लोग गरीब हों तो हमें फिजूलखर्ची और दिखावा नहीं करना चाहिए। अपने देश और देशवासियों से प्यार करते हैं तो हमें कम से कम में काम चलाना चाहिए व्यक्ति का महत्व पोशाक और कीमती गाडियोंमें नहीं, अच्छे कर्मऔर विचार से युक्त सादा जीवन बिताने में है ।14. भाषण - जीवन में सादगी का महत्वमाननीय अध्यक्ष,आदरणीय गुरुजनो और मेरे प्यारे साथियो, सबको सादर प्रणाम। मेँ आपके सामने जीवन मेँ सादगी का महत्व विषय पर एक छोटा -सा भाषण करने जा रहा रही हूँ। समाज मेँ कुछ लोग बहुत धनिक हैं लेकिन शेष लोग आज भी अत्यधिक गरीबी मेँ रहनेवाले हैं। अमीर लोग बडी सुख-सुविधाओं के साथ आडंबर का जीवन बिताते समय गरीब लोग कष्टताओंमें जीवन बिताते हैं ऐसी हालत में सादा जीवन बिताने का महत्व बढता जा रहा है | हमारा जीवन सादा हो विचार उच्च हो| हमें फिजूलखर्ची और दिखावा नहीं करना चाहिए । हमारे राष्ट्रपिता गाँधीजी अत्यधिक सादगी का जीवन बितानेवाले थे | वे एक धोती पहनते थे और पेंसिल से लिखते थे उनका विचार था कि जब हमारे देश के अधिकांश लोग गरीब हों तो हमें फिजूलखर्ची और दिखावा नहीं करना चाहिए । गाँधीजी ने जैनधर्म के अपरिग्रह को स्वीकार किया था| सादगी का जीवन बिताने से हमारी आर्थिक कठिनाई दूर हो जाती है । अनावश्यक खर्चों को छोडकर सोच -समझकर पैसे खर्च करना चाहिए । अमीर लोग फिजूलखर्ची छोडकर उन पैसों से गरीबों की सहायता करें तो समाज का विकास भी होता है। सादगी बडा लाभदायक होती है । इतना कहकर मैं अपना भाषण समाप्त करता / करती हूँ। धन्यवाद, नमस्कार ।15. भाषण - मेरा जीवन ही मेरा संदेश हैमाननीय अध्यक्ष, आदरणीय गुरुजनो और मेरे प्यारे साथियो,सबको सादर प्रणाम ।मैं आपके सामने हमारे राष्ट्रपिता महात्मागांधी के प्रसिद्ध कथन मेरा जीवन ही मेरा संदेश है विषय पर एक छोटा -सा भाषण करने जा रहा / रही हूँ। 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी बचपन से ही सत्यनिष्ठा का प्रण लिया और जीवन भर उसका पालन करते रहे | वे कहते थे मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है , सत्य मेरा ईश्वर है और अहिंसा उसे पाने का साधन । भारत की गरीबों की हालत सुधारने केलिए उन्होंने सादगी को अपनाया। महान शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य से अपने अहिंसा और सत्याग्रह के ज़रिए हमें स्वतंत्रता दिलाए गांधीजी को कैसे भूलूँ ? अपने सोच, व्यवहार और कर्मों के ज़रिए वे एक साधारण व्यक्ति से महात्मा बने आइनस्टीन ने ठीक ही कहा था, आनेवाली पीढी बडी कठिनाई से विश्वास करेगी कि इस प्रकार का कोई रक्त मांसवाला पुरुष इस दुनिया मैं जीवित रहा था । गांधीजी जैसा महात्मा हम भारतीयोंका श्रेय है। हमें भी उनके आदर्शों को स्वीकार करके एक अच्छा इंसान बनना चाहिए। इतना कहकर मैंअपना भाषण समाप्त करता / करती हूँ ।धन्यवाद, नमस्कार |16. वार्तालाप - गाँधीजी और बच्चा के बीचबच्चा - क्या हुआ बाबा ? आप इतना उदास क्यों ?गाँधीजी - क्या करूँ बेटा ? एक पत्र लिखना था, परमेरा पैन चोरी चला गया।बच्चा - यहाँ कहीं होगा, क्या आपने इसे अच्छी तरहढूँढा ? गाँधीजी - हाँ बेटा । पैन कहींनहींहै।बच्चा - तो आप मेरी पेंसिल से लिखकर देखिए।गाँधीजी - अरे वाह! इससे तो अच्छा लिखा जाता है औरस्याही वगैरह भरने की झंझट भी नहीं।बच्चा - ठीक है बाबू । यह पेंसिल आपके पास ही रखें ।गाँधीजी - ठीक है बेटा । आज से मैं इस पेंसिल से ही लिखूँगा ।बच्चा - आपकी मर्ज़ी | अब मैं जाता हूँ।गाँधीजी - ठीक है बेटा । मेरी मदद करने केलिए बहुत शुक्रिया ।17. लेख - आत्मविश्वास का महत्वआत्मविश्वास जीवन की सफलता का सबसे बडा रहस्य है । आत्मविश्वास किसी व्यक्ति मैं जन्म से नहीं होता है, पर यह समय के साथ व्यक्ति में उत्पन्न होता है। जब व्यक्ति अपनी क्षमता को पहचानना है तो धीरे -धीरे उसमें उस कार्य केलिए आत्मविश्वास बढता चला जाता है। आत्मविश्वास से भरपूर व्यक्ति हमेशा उत्साह और उमंग मैं रहता है । जिनका आत्मविश्वास कमज़ोर होता है वह निराश, आलस्य और भय के शिकार हो जाते हैं। किसी व्यक्ति के द्वारा किए गए कार्य मैं उनका आत्मविश्वास दिखाई देता है। आत्मविश्वास के बल पर हम अकेले ही बडी से बडी चुनौती का सामना कर सकते हैं बच्चों मैं आत्मविश्वास बढाने केलिए हमेंउन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। आत्मविश्वास मैं पहाड को हिला देनेवाली शक्ति है। आत्मविश्वास के बल पर मनुष्य अपनी सभी इच्छाओं को और सपनों को सच कर सकता है। हर व्यक्ति को अपना डर दूर भगाकर अपने आत्मविश्वास को बढाना चाहिए ताकि सफलता को आसानी प्राप्त किया जा सके ।18. पोस्टर (संदेशात्मक ) - अहिंसा का महत्व2 अक्तूबर
अंतर्राष्ट्रीयअहिंसा दिवस
( गाँधीजी का जन्मदिन )
हिंसा छोड दें, अहिंसा को स्वीकार करें |
हिंसा से समाज में अशांति फैल जाती है।
सभी से दयापूर्ण और प्रेमपूर्ण व्यवहार करें |
अहिंसा से शांति होती है
सामाजिक विकास भी होता है।
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1. वे धीरे धीरे गांधी बने “- इसका मतलब क्या है ?
गांधीजी भी पहले औरों की तरह अच्छे कपडे पहनते थे। फिर हमारे देश की गरीबी समझकर वे ललित जीवन बिताने लगे । स्वदेश को माँ की तरह प्यार करके और विचार एवं काम में सादगी का महत्व अपनाकर वे धीरे धीरे गांधी बने।
2. औरत की हालत देखकर गांधीजी ने एक ही धोती पहनने का फैसला कर लिया। ऐसा फैसला लेने का उद्देश्य क्या था ?
गरीबों की अवस्था का अनुभव करना, लोगों के मन म मेँ गरीबों की सेवा करने की भावना जगाना और गरीबोंके प्रति सहानुभूति प्रकट करना ।
3. गांधीजी ने पेंसिल से लिखना क्यों तय किया ?
गांधीजी लिखते बढिया पैन चोरी चला गया तो एक बच्चे से मिली पेंसिल से उन्होंने लिखकर देख। उन्हें लगा कि पेंसिल से भी अच्छा लिखा जाता है और स्याही वगैरह भरने की झंझट भी नहीं। इसलिए उन्होंने पेंसिल से लिखना तय किया|
4. बचपन मेँ गांधीजी को किससे डर लगता था क्यों ?
अंधेरे से क्योंकि गांधीजी को लगता था कि कोई भूत आकर उन्हें पकड लेगा ।
5. औरत की हालत देखकरगांधीजी ने क्या फैसला कर लिया ?
औरत की हालत देखकरगांधीजी ने एक ही धोती पहनने का फैसला कर लिया ।
6.' पेंसिल पर कागज़ की भोंगली लगाकर धागे से बाँध लेते' - गाँधीजी के इस व्यवहार के पीछे का उद्देश्य क्या था ?
जब अपने देश के अधिकांश लोग गरीबी और अभावबों से पीडित हों तो हमें फिजूलखर्ची और दिखावा नहीं करना चाहिए ।
7. गांधीजी के अनुसार देश के अधिकांश लोग गरीब हों तो हमें क्या -क्या नहीं करना चाहिए ?
फिजूलखर्ची और दिखावा
8. हम अपने देश और देशवासियों से प्यार करते हैं तो किसका महत्व समझना चाहिए ?
सादगी का महत्व
9. गांधीजी के मत मेँ हमें किस प्रकार नाम कमाना चाहिए ?
हमें सादगी का महत्व समझना चाहिए। गांधीजी के अनुसार अपने विचारों और कर्मों से नाम कमाना चाहिए।
10. अपनी प्रार्थना सभा में सज धजकर आएकुछ अमीर आदमी को गांधीजी ने क्यों डाँट दिया ?
क्योंकि हम अपनी संपत्ति का दिखावा करने की जगहईश्वर के सामने नहीं ।उनके आगे हमारी धन बहुत तुच्छ ही है । उनके आगे सब बराबर है।
11. गांधीजी की डायरी (औरत हालत देखकर)
तारीख : ..................................
आज मैं भाषण देने केलिए मदुरै जाते समय एक करुणामय दृश्य देखा। एक औरत तालाब मेँ अपनी धोती धो रही थी। आधी धोती पहनती थी और बाकी आधी को धोती थी। फिर धुली हुई को पहन लेती थी और शेष को धोती थी। उसकी हालत देखकर मेँ भीतर तक हिल गया तुरंत मैंने अपनी धोती तालाब मेँ डालकर उस औरत तक पहुँचाये | हे भगवान ! ऐसे भी गरीब लोग हैं इस देश मेँ । लेकिन कितने लोग आज भी फिजूलखर्ची और दिखावा करते हैं। उसी समय मैंने एक ही धोती पहनने का संकल्प लिया । अभावों से विवश आम जनता की हालत सुधारने केलिए जीवन मेँ हमें भी सादगी को अपनाना है। लगता हैमेरे इस निर्णय से लोगों के मन मेँ गरीबों की सेवा करने की भावना जगाएँ | आज का घटना मैं कैसे भूलूँ ?
12. समाचार (औरत हालत देखकर गांधीजी ने एक धोती पहनने का फैसला लिया )
गांधीजी ने लिया एक ही धोती पहनने का फैसला
स्थान। ....................
मदरै में भाषण देने गए गांधीजी ने एक औरत की दयनीय हालत देखकर आज के बाद पूरे जीवनकाल मेँ केवल एक ही धोती पहनने का अहम निर्णय लिया । तालाब में कपडे धो रही औरत अपनी धोती का एक भाग पहनकर दूसरा भाग धो रही थी | उसके पास केवल एक ही धोती थी । यह दृश्य देखने पर उनके मन मेँ ऐसे गरीब लोगों की चिंताआई, जो बिना ओढे -पहने रहते हैं अभावों से विवश आम जनता के समान जीने केलिए उन्होंने निश्चय किया । ताकि उन्हें देखकर बाकी भारतीय भी गरीबों की हालत सुधारने केलिए जीवन मेँ सादगी को अपनाएँ।
13. टिप्पणी - औरत की हालत देखकर गांधीजी ने एक ही धोती पहनने का फैसला क्यों लिया ?
भारत के अधिकांश लोग गरीबी के कारण बिना ओढे -पहने रहते हैं गांधीजी औरत की हालत देखकर यह सामाजिक आर्थिक अवस्थ पहचानते थे। अभावों से विवश आम जनता के समान जीने केलिए उन्होंने एक ही धोती पहनने का फैसला लिया उन्हें देखकर बाकी लोग भी गरीबों की हालत सुधारने को जीवन मेँ सादगी को अपनाने केलिए ऐसा एक निर्णय लिया होगा। देश अधिकांश लोग गरीब हों तो हमें फिजूलखर्ची और दिखावा नहीं करना चाहिए। अपने देश और देशवासियों से प्यार करते हैं तो हमें कम से कम में काम चलाना चाहिए व्यक्ति का महत्व पोशाक और कीमती गाडियोंमें नहीं, अच्छे कर्मऔर विचार से युक्त सादा जीवन बिताने में है ।
14. भाषण - जीवन में सादगी का महत्व
माननीय अध्यक्ष,आदरणीय गुरुजनो और मेरे प्यारे साथियो, सबको सादर प्रणाम।
मेँ आपके सामने जीवन मेँ सादगी का महत्व विषय पर एक छोटा -सा भाषण करने जा रहा रही हूँ। समाज मेँ कुछ लोग बहुत धनिक हैं लेकिन शेष लोग आज भी अत्यधिक गरीबी मेँ रहनेवाले हैं। अमीर लोग बडी सुख-सुविधाओं के साथ आडंबर का जीवन बिताते समय गरीब लोग कष्टताओंमें जीवन बिताते हैं ऐसी हालत में सादा जीवन बिताने का महत्व बढता जा रहा है | हमारा जीवन सादा हो विचार उच्च हो| हमें फिजूलखर्ची और दिखावा नहीं करना चाहिए । हमारे राष्ट्रपिता गाँधीजी अत्यधिक सादगी का जीवन बितानेवाले थे | वे एक धोती पहनते थे और पेंसिल से लिखते थे उनका विचार था कि जब हमारे देश के अधिकांश लोग गरीब हों तो हमें फिजूलखर्ची और दिखावा नहीं करना चाहिए । गाँधीजी ने जैनधर्म के अपरिग्रह को स्वीकार किया था| सादगी का जीवन बिताने से हमारी आर्थिक कठिनाई दूर हो जाती है । अनावश्यक खर्चों को छोडकर सोच -समझकर पैसे खर्च करना चाहिए । अमीर लोग फिजूलखर्ची छोडकर उन पैसों से गरीबों की सहायता करें तो समाज का विकास भी होता है। सादगी बडा लाभदायक होती है । इतना कहकर मैं अपना भाषण समाप्त करता / करती हूँ। धन्यवाद, नमस्कार ।
15. भाषण - मेरा जीवन ही मेरा संदेश है
माननीय अध्यक्ष, आदरणीय गुरुजनो और मेरे प्यारे साथियो,
सबको सादर प्रणाम ।
मैं आपके सामने हमारे राष्ट्रपिता महात्मागांधी के प्रसिद्ध कथन मेरा जीवन ही मेरा संदेश है विषय पर एक छोटा -सा भाषण करने जा रहा / रही हूँ। 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी बचपन से ही सत्यनिष्ठा का प्रण लिया और जीवन भर उसका पालन करते रहे | वे कहते थे मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है , सत्य मेरा ईश्वर है और अहिंसा उसे पाने का साधन । भारत की गरीबों की हालत सुधारने केलिए उन्होंने सादगी को अपनाया। महान शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य से अपने अहिंसा और सत्याग्रह के ज़रिए हमें स्वतंत्रता दिलाए गांधीजी को कैसे भूलूँ ? अपने सोच, व्यवहार और कर्मों के ज़रिए वे एक साधारण व्यक्ति से महात्मा बने आइनस्टीन ने ठीक ही कहा था, आनेवाली पीढी बडी कठिनाई से विश्वास करेगी कि इस प्रकार का कोई रक्त मांसवाला पुरुष इस दुनिया मैं जीवित रहा था । गांधीजी जैसा महात्मा हम भारतीयोंका श्रेय है। हमें भी उनके आदर्शों को स्वीकार करके एक अच्छा इंसान बनना चाहिए। इतना कहकर मैंअपना भाषण समाप्त करता / करती हूँ ।
धन्यवाद, नमस्कार |
16. वार्तालाप - गाँधीजी और बच्चा के बीच
बच्चा - क्या हुआ बाबा ? आप इतना उदास क्यों ?
गाँधीजी - क्या करूँ बेटा ? एक पत्र लिखना था, परमेरा पैन चोरी चला गया।
बच्चा - यहाँ कहीं होगा, क्या आपने इसे अच्छी तरहढूँढा ? गाँधीजी - हाँ बेटा । पैन कहींनहींहै।
बच्चा - तो आप मेरी पेंसिल से लिखकर देखिए।
गाँधीजी - अरे वाह! इससे तो अच्छा लिखा जाता है औरस्याही वगैरह भरने की झंझट भी नहीं।
बच्चा - ठीक है बाबू । यह पेंसिल आपके पास ही रखें ।
गाँधीजी - ठीक है बेटा । आज से मैं इस पेंसिल से ही लिखूँगा ।
बच्चा - आपकी मर्ज़ी | अब मैं जाता हूँ।
गाँधीजी - ठीक है बेटा । मेरी मदद करने केलिए बहुत शुक्रिया ।
17. लेख - आत्मविश्वास का महत्व
आत्मविश्वास जीवन की सफलता का सबसे बडा रहस्य है । आत्मविश्वास किसी व्यक्ति मैं जन्म से नहीं होता है, पर यह समय के साथ व्यक्ति में उत्पन्न होता है। जब व्यक्ति अपनी क्षमता को पहचानना है तो धीरे -धीरे उसमें उस कार्य केलिए आत्मविश्वास बढता चला जाता है। आत्मविश्वास से भरपूर व्यक्ति हमेशा उत्साह और उमंग मैं रहता है । जिनका आत्मविश्वास कमज़ोर होता है वह निराश, आलस्य और भय के शिकार हो जाते हैं। किसी व्यक्ति के द्वारा किए गए कार्य मैं उनका आत्मविश्वास दिखाई देता है। आत्मविश्वास के बल पर हम अकेले ही बडी से बडी चुनौती का सामना कर सकते हैं बच्चों मैं आत्मविश्वास बढाने केलिए हमेंउन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। आत्मविश्वास मैं पहाड को हिला देनेवाली शक्ति है। आत्मविश्वास के बल पर मनुष्य अपनी सभी इच्छाओं को और सपनों को सच कर सकता है। हर व्यक्ति को अपना डर दूर भगाकर अपने आत्मविश्वास को बढाना चाहिए ताकि सफलता को आसानी प्राप्त किया जा सके ।
18. पोस्टर (संदेशात्मक ) - अहिंसा का महत्व
2 अक्तूबर अंतर्राष्ट्रीयअहिंसा दिवस ( गाँधीजी का जन्मदिन ) हिंसा छोड दें, अहिंसा को स्वीकार करें | हिंसा से समाज में अशांति फैल जाती है। सभी से दयापूर्ण और प्रेमपूर्ण व्यवहार करें | अहिंसा से शांति होती है सामाजिक विकास भी होता है। |
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